छुट्टियों में बच्चों का कैसे रखे ख्याल…

बच्चों की स्कूल की छुट्टियां पडने वाली हैं। इस मौके पर स्कूली दिनों से ज्यादा बच्चों का ख्याल रखने की जरुरत होती है क्योंकि इन दिनों बच्चों की दिनचर्या अलग हो जाती है। कुछ बच्चे रिश्तेदारों खासतौर पर नानी के यहां चले जाते हैं और कुछ कई कारणों से घर पर ही रहते हैं। आजकल पैरेंट्स सोचते हैं कि बच्चों को घुमाना फिराना ही छुट्टियों का अर्थ होता है लेकिन तमाम ऐसे पहुल हैं जिन्हें आपको समझना चाहिए…
दिनचर्या में बदलाव न होने दे
अक्सर देखा जाता है जिन दिनों बच्चों की छुट्टियां पड़ी होती है उस समय पैरेंट्स बच्चों को लेट सोने की अनुमति दे देते हैं। लेकिन ऐसे में बच्चों का पार्क भेजना चाहिए व व्यायाम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए चूंकि स्कूली दिनों में पढ़ाई का इतना प्रैशर रहता है जिस वजह से उनको अपने लिए बिल्कुल समय नही मिलता। पूरा दिन स्कूल, ट्यूशन व होमवर्क में निकल जाता है जिससे उनका शारीरिक संचालन बहुत कम होता है। बड़ी क्लास के बच्चे तो छुट्टियों में एडिशनल कोर्स भी करते हैं जिस वजह से उनको पूरे साल ही समय नही मिलता। कुछ ऐसे ही कारणों की वजह से छोटी उम्र में बच्चों के चश्में चढ़ जाते व अन्य बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं। बच्चों पर अपने शरीर पर समय देने के लिए यह समय सबसे सही होता है इसलिए सुबह जल्दी उठकर अपने पर ध्यान दें।
मोबाइल, टैब, लैपटॉप अन्य इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूर रखें
अक्सर पैरेंट्स सोचते है कि बच्चों की छुट्टियां है तो बच्चों को मोबाइल या टैब पर गेम खेलने दो। जो बेहद गलत हैं। इस ही वजहलगातार बच्चों की निगाहें कमजोर होती जा रही हैं और साथ में डीप्रेशन के शिकार भी हो जाते हैं। अब तो देखने में यह आ रहा है कि यदि बच्चों को मोबाइल न दो तो वह इतने उग्र हो जाते हैं कि माता-पिता पर वार करने से भी नही चूकते। कुछ बच्चों को इतनी बुरी आदत पड़ चुकी है कि वो पूरे दिन मोबाइल पर ही लगे रहते हैं। जिन लोगों के छोटे बच्चें है वो यदि अभी से ही मोबाइल से दूरी बनाने की आदत डाल लेंगे तो बच्चो का भविष्य सहीं रहेगा।
हर वक्त घर में रहना बहुत खतरनाक
जिन बच्चों के माता पिता दोनों ही नौकरी करते हैं वो अक्सर बच्चों को घर से बहुत कम निकलने देते हैं। जिन दिनों बच्चा स्कूल जाता है उन दिनों की दिनचर्या बिल्कुल अलग होती है लेकिन जब छुट्टियां होती खासतौर पर वो बच्चें अपने किसी रिश्तेदारों के यहां भी नही जाते तो उस वजह से उन्हें बिल्कुल घर में रहना पड़ता है। जिसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह होता है कि ऐसे बच्चें कभी किसी के साथ घुलमिल नही पाते और वो साइको हो जाते हैं। ऐसे बच्चों को किसी से बात करना या उनके घर पर कोई आ जाए तो उनको बिल्कुल भी अच्छा नही लगता। यहां पर पैरेंट्स को बहुत ध्यान रखने औऱ उनके लिए समय निकालने की जरुरत है।
धर्म व महापुरुषों की जानकारी दें
आज की पीढ़ी को धर्म की जानकरी बहुत कम होती है जिसका कारण हम स्वयं है क्योंकि उनके अभिभावक उनसे इस बारे में कोई बात नही करते। अब घर के सभी लोगों के पास अपनी व्यस्तता इतनी बढ़ चुकी है कि बच्चों को धर्म व इतिहास की जानकारी प्राप्त नही होती जिसको हम दुर्भाग्य के रुप में देखते हैं। इसलिए जरुरत है कि बच्चों ऐसी पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करें जिससे धर्म व उन महापुरुषों की जानकरी प्राप्त हो जिन्होनें देश के लिए कुर्बानी दी।
गतिविधियों पर ध्यान रखें
एक कहावत है कि ‘खाली दिमाग शैतान का होता है’ कुछ बच्चों के साथ ऐसा ही होता है कि छुट्टियों के दिनों में बच्चों गलत कामों में पड़ जाते हैं। क्योंकि इन दिनों रोक टोक बहुत कम हो जाती है तो वो अपनी मर्जी से कुछ भी करते हैं और बच्चों को उनके मर्जी के हिसाब से पैसा मिल जाता है। जिस परिवार में माता-पिता दोनों ही नौकरी करते है उनके बच्चों के साथ ऐसे मामलें ज्यादा होते हैं। इसलिए बच्चों की दिनचर्या, जीवनशैली व गतिविधियों पर ध्यान रखने की जरुरत है ताकि वो किसी गलत संगत में न पढ़ें।